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सागारधर्मामृत
[२६५ कन्याको दूसरेकी अथवा दूसरी जातिकी बतलाना कन्यालोक वा कन्यासंबंधी झूठ है। यहांपर कन्या शब्द उपलक्षण है अर्थात् कन्या कहनेसे लडका लडकी दास दासी आदि सब मनुष्य स्त्रियां लेनी चाहिये ।सबकेलिये ऊपर लिखे अनुसार विपरीत कहना कन्या संबंधी झूठ है । इसीप्रकार गाय भैंस आदि पशुओंमें जो थोडा दूध देती है उसे बहुत दूधवाली कहना अथवा जो बहुत दूध देती है उसे थोडा दूध देनेवाली कहना गवालीक वा गायसंबंधी झूठ है। यहांपर भी गाय शब्दसे सब पशु लेने चाहिये । तथा दूसरेकी भूमिको अपनी बतलाना अथवा अपनीको दूसरे की कहना मालीक अथवा भूमिसंबंधी झूठ है । यहांपर भी भूमि कहनेसे भूमि, वृक्ष, मकान आदि | सब स्थावर (स्थिर ) चीजें समझना चाहिये। कन्यालीक,
गवालीक और मालीक ये तीनों ही झूठ लोकमें अत्यंत निंद्यरूपसे प्रसिद्ध हैं इसलिये श्लोकमें इनका ही नाम लिया है, इनके बदले द्विपद अर्थात् मनुष्यसंबंधी झूठ अथवा चतुष्पद अर्थात् पशु संबंधी झूठ इसप्रकार नहीं लिखा है । ये तीनों प्रकारके झूठ संसारमें अत्यंत विरुद्ध हैं इसलिये इन्हें कभी नहीं बोलना चाहिये । इसप्रकार झूठी गवाही भी नहीं | देना चाहिये । किसी विषयमें जिसको प्रमाण मान लिया है | वह यदि रिशवत् लेकर अथवा किसी ईर्ष्या वा द्वेषसे विपरीत बोलता हुआ कहता है कि ' यह ऐसा ही हुआ है और मेरे