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दिगंबर जैनग्रंथमाला नं. ३६. NOSTRADA I L .TA.ORa% . ॥ श्रीवीतरागाय नमः ॥
श्रीमत्पण्डितप्रवर आशाधर विरचित
सागारधामृत
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पूर्वार्द्ध।
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अनुवादकपंडित लालाराम जैन-इन्दौर।
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प्रकाशकमूलचंद किसनदास कापड़िया-सूरत ।
सूरतनिवासी साह, किसनदास पूनमचन्द कापडियाकी ! सौ. स्वर्गवासी पत्नी ( हमारी माता) हीराकोरबाई ।
- और भावनगरनिवासी स्वर्गवासी सेठ मूलचंद गुलाबचंद - अमरजी वागडियाकी विधवा मणीबाईकी ओरसे अपनी स्वर्गीय सौ. पुत्री संतोकके
स्मरणार्थ 'दिगंबर जैन' के ग्राहकोंको आठवें वर्षका चौथा उपहार।
प्रथमावृत्ति. वीर सं. २४४१. प्रतियाँ २२५०.
मूल्य डेढ़ रुपया।
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