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________________ प्रशमरति प्रकरण का समालोचनात्मक अध्ययन 54 97. एवमनैक विधानामेंकैको ........दर्शनादिपर्यायै वही० का० १६३, पृ० १३३ 98. समयक्त्व ज्ञान चारित्र वीर्य शिक्षा गुणा जीवाः। प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 218, पृ० 153 99. प्रशमरति प्रकरण, 11, का० 207, पृ० 145 100. तु रुपिणः पुद्गला प्रोक्ताः। - प्रशनरति प्रकरण 11, का० 207, पृ० 145 101. वही, 14, का0 214, पृ० 150 102. द्वयादि प्रदेशवन्तो ......... वर्णादिगुणेषु भजनीयः। वही, 11, का0 208, पृ० 145 108. स्पर्श रस गन्थ.......... संसारिणः स्कन्थाः। प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 216217, पृ० 152 104. पुद्गल द्रव्य पुनरोदयिके भावे भवति पारिणामिके च। वही, 11, का 209, पृ० 146 105. कर्तृत्व पर्याय शून्यानि। वही, 14, का० 214, पृ० 150 106. वही, 11, का0 208, पृ० 145 107. द्वयादि प्रदेश भाजः........ कार्यलिंगश्च। प्रशमरति प्रकरण, 11, का० 208 को हरिभद्रीय टीका, पृ० 145 108. डॉ० लालचन्द्र जैनः पंचास्तिकाय एक सरल अध्ययन, पृ० 42 109. द्वयादि प्रदेशवंताो....... स्कंथाः। प्रशमरति प्रकरण, 11, का० 208, पृ० 145 110. एक द्वयणुक........ सर्वे स्कन्धाः। वही, 11, का, 208 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 145 111. वही, पृ० 145 112. धर्मद्रव्यं ......... जलद्रव्यभिवोपग्राहकम। प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 215 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 151 113. वही, 11, का० 207, पृ० 145 114. असंख्येय प्रदेशों जीवः तथा धर्माधमादीपि। वही, 14, का० 214 की हरिभद्रीय टीका, पृ० 150 115. धर्मादीनि कर्तृत्व पर्याय शून्यानि। वही, पृ० 150 116. स्थित्युपकृत्याधर्मः। प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 215, पृ० 151 117. वही, 14, का0 213, पृ० 149 118. वही, 14, का० 214, की टीका, पृ० 150 119. आकाशान्येकैकमतः। प्रशमरति प्रकरण, 14, का० 214 की टीका, पृ० 150
SR No.022360
Book TitlePrashamrati Prakaran Ka Samalochanatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManjubala
PublisherPrakrit Jain Shastra aur Ahimsa Shodh Samthan
Publication Year1997
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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