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प्रशमरति प्रकरण का समालोचनात्मक अध्ययन
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द्रव्य
अस्तिकाय
अस्तिकाय
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अनास्तिकाय
काल
धर्म
अधर्म
आकाश
'पुद्गल
जीव
क्षेत्रवान और अक्षेत्रवान की अपेक्षा :
जो द्रव्य ठहरने के लिए जगह देता है, वह क्षेत्रवान है और जो द्रव्य ठहरने के लिए स्थान नहीं देता, वह अक्षेत्रवान है। छह द्रव्यों में से केवल आकाश द्रव्य क्षेत्रवान है, क्योंकि वह समस्त द्रव्यों को अवगाहन प्रदान करता है। शेष द्रव्य जीव, धर्म, अधर्म, पुद्गल एवं काल अक्षेत्रवान हैं, क्योंकि इनमें अवगाहन-शक्ति मौजूद नहीं है।
द्रव्य
- अक्षेत्र
क्षेत्रवान
अक्षेत्रवान
आकाश
धर्म
अधर्म
पुद्गल
काल
जीव
व्यापक और अव्यापक की अपेक्षा :
व्यापक और अव्यापक की अपेक्षा द्रव्य के दो भेद हैं - (१) व्यापक और (२) अव्यापक
व्यापक और अव्यापक :
व्यापक द्रव्य वह है, जो सर्वगत है। अर्थात् सम्पूर्ण लोक में व्याप्त हो और अव्यापक द्रव्य वह है, जो सर्वगत नहीं है। आकाश, धर्म, अधर्म व्यापक महास्कंध की अपेक्षा असर्वगत हैं। काल भी कालाणु द्रव्य की अपेक्षा असर्वगत है और लोक प्रदेश के बराबर असंख्यात कालाणु की अपेक्षा सर्वगत है 841