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________________ प्रशमरति प्रकरण का समालोचनात्मक अध्ययन 100 39. एवमता लेश्याः कर्मबन्धस्थितिविधात्रयः। तीव्र परिणामाः स्थिति....... उत्तररोत्तरा भवन्तीति। प्रशमरति प्रकरण, 4, का० 38 की टीका, पृ० 30। 40. मिथ्यादृष्ट्यविरमण..... कर्मबन्धस्य हेतू तौ। वही, 4, का० 33, पृ० 25 41. तस्माद्रागद्वेषादयस्तु भव संततेर्मूलम् । वही, 5, का० 56-57, पृ० 4------- 42. वही, 3, का 34, पृ० 26 43. क्षयोपशमजं क्षायिक ........ तज्ज्ञानावरणम् विही, 3, का० 34 की टीका, पृ० 26 44. वही, 3, का० 35 की टीका, पृ० 27 45. चक्षुर्दर्शनाधावियते येन कर्मणा तद्दर्शनावरणम् । प्रशमरति प्रकरण, 3, का० 34, पृ० 26 46. दर्शनावरणस्योत्तर ........ पंचकंथ। वही, 3, का० 5 की टीका, पृ० 27 47. वेथ सुखानुभव लक्षणं दुःखानुभवलक्षलंच। वही, 3, का० 34 की टीका, पृ० 26 48. वेदनीयं द्विविधं सद्वेषमस्यद्वेषंच। वही, 3, का० 5 की टीका, पृ० 27 49. कर्माष्टकस्य ........प्रथम वजीम्। वही, 18, का० 259 की टीका, पृ० 178 50. मुह्यति अनेन जीवः इति। - प्रशमरति प्रकरण, 3, का० 34 की टीका, पृ० 26 51 मिथ्यात्वदलिकमैव ......मिथ्यात्मेवोच्यत इति। वही, 3, का० 35 की टीका, पृ० 27 52. वही,18, का० 260 का भावार्थ, पृ० 178 53. मोहोत्तर प्रकृतयोऽष्टाविंशतिः सम्यक्तवं, मिथ्यात्वं सम्यग्मिथ्यात्वम्।.......... पुंनपुंसक वेदश्चेति। वही, 3, का० 5 की टीका, पृ० 27 54. आयुश्चतस्त्र ....... देवायुरिति। वही, 3, का० 5 की टीका, पृ० 27 55. नाम्यन्ते प्राण्यन्ते येन गति जात्यादि स्थानानि तन्नाम। वही, 3, का० 34 की टीका, पृ० 26 56. अतोनाम कर्मण उत्तर प्रकृतयो द्विषात्वारिंशद भवन्ति। तश्था...... तिर्थकरनाम चेति ___वही, 3, का० 5 की टीका, पृ० 27 57. प्रशमरति प्रकरण, 3, का० 34 की टीका, पृ० 26। 58. गोत्रस्योत्तर प्रकृतिद्वयम् । उच्चर्गोत्रंनी चैर्गोत्रंच। वही, 3, का० 35 की टीका, पृ० 27 59. विशिष्ट कुल जैव्यश्वर्यादि च अन्तरयमिति। वही, 3, का० 34 की टीका, पृ० 26 60. दानलाभादि विघ्नकारि च अन्तरयमिति। वही, 3, का० 4 की टीका, पृ० 26 61. अन्तरायोत्तर प्रकृतयः पंच-दानान्तरायम्, लाभान्तरायम् भोगान्तरायम्, उपभोगान्तराय, ... वीन्तिराचेति। वही, ३, का० 35 की टीका, पृ० 27
SR No.022360
Book TitlePrashamrati Prakaran Ka Samalochanatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManjubala
PublisherPrakrit Jain Shastra aur Ahimsa Shodh Samthan
Publication Year1997
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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