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॥ दंडकेषु अल्पबहुत्वद्वारम् ॥ (१४१) विस्तरार्थ:---अल्पबहुत्व संबन्धि बन्ने गाथाओमां जीवो सामान्यतः अधिक अधिक कह्या पण केटला अधिक ? ते कछु नथी माटे ते स्पष्ट रीते दर्शावाय छे.--.
॥२४ दंडकनुं*अल्पबहुत्व ॥
पर्याप्त मनुष्य १ बादर अग्नि १ वैमानिक भवनपति १० नारक व्यन्तर ज्योतिषी चतुरिन्द्रिय ? पञ्चे०तिर्यंच १ द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय १ पृथ्विकाय ? अपकाय १ वायुकाय वनस्पतिकाय ?
सर्वथी अल्प असंख्य गुण असंख्य गुण असंख्य गुण असंख्य गुण असंख्य गुण संख्य गुण संख्य गुण
विशेषाधिक विशेषाधिक असख्य गुण असंख्य गुण असंख्य गुण अनंत गुण
* अहिं पर्याप्त जीवाश्रयि आ अल्पबहुत्व का छ