SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ दंडकेषु आयुरवर्णनम् ॥ (१०९) आयुः ) कंइक न्यून २ पल्योपम छे, तथा विकलेन्द्रियोनु उत्कृष्ट आयुष्य ( अनुक्रमे ) १२ वर्ष-४९-दिवस ने ६ मास (जेटल) छे, विस्तरार्थः-मुगम छे, विशेष आगळ ओपेला यन्त्र जुओ. अवतरण-आ गाथामां (पृथ्व्यादि १० पदोनुं तथा भवन० नारक ने व्यन्तरोनु जघ० आयुष्य कहेवाय छे. मूळ गाथा २९ मी. पुढवाइ दस पयाणं, अन्तमुहुत्तं जहन्न आउठिई। दस सहस वरसठिइआ, भवणाहिव निरयवंतरिया २९ संस्कृतानुवादः पृथ्व्यादिदशपदाना- मन्तर्मुहूर्तजघन्यमायुःस्थितिः । दशसहस्रवर्षस्थितिका, भवनाधिपनरयिकव्यन्तराः॥२९॥ शब्दार्थः पुढवाइ-पृथ्विकाय विगेरे दससहस-दश हजार दस-दश (१०) परिस-वर्ष पयाणं-पदोनु-दंडकोनुं ठिइआ-आयुष्यवाळा अन्तमुहुत्त-अन्तर्मुहूर्त भवणाहिव-भवनपति जहन्न-जघन्य-अति अल्प निरय-नारक आउठिइ-आयुष्यनी स्थिति वन्तरिया-व्यन्तरो गाथार्थ-पृथ्विकाय वगेरे १० दंडकोनी जघन्य आयुस्थिति अन्तर्मुहूर्त छे, अने भवनपति-नारक-ने व्यन्तरो ( जघ० थी) १०००० वर्षना आयुष्यवालाछे, विस्तरार्थ:-सुगम छे, विशेष आगळ आपेलो यन्त्र जुओ.
SR No.022358
Book TitleDandak Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajasarmuni, Vijayodaysuri
PublisherGranth Prakashak Sabha
Publication Year1925
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy