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(१०४)
॥ दंडकविस्तरार्थः ॥..
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प्रथम त्रण वैयके
बीजां त्रण ग्रैवेयके
त्रीजात्रैवेयके
सख्यात १०० वष (-१००० नी अंदर संख्यात १००० वर्ष (-१ लाखनी अंदर सख्यात लक्षवर्ष. (--१ कोडनी अंदर पल्योपमनोअसं ख्यातमो भाग पल्यो०नोसंख्यातमो
४ अनुत्तरे
सर्वार्थसिद्धे
भाग
| १२ मुहते
| २४ मुहूर्त | अन्तर्मु०
गर्भजतियेचमां गर्भज मनुष्यमां सम्मू०मनुष्य दीन्द्रियमां त्रीन्द्रियमां चतुरि०मां असन्निपंचे० पृथ्वीकाय अपकाय अग्निकाय
"
| अन्तम विरह नथी | विरह नथी
वायुकाय
वनस्प०