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________________ [४९] ५ कषाय-छयांसी जुगलिया में कषाय पावे चारों ही। ६ संज्ञा-छयांसी जुगलिया में संज्ञा पावे चारोंही। ___ ७ लेश्या-ज्यांसी जुगलिया में लेश्या पावे चारकृष्ण, नील, कापोत और तेजो। ८ इन्द्रिय- छयांसी जुगलिया में इन्द्रिय पावे पांचों ही। ९ समुद्घात- छयांसी जुगलिया में समुद्घात पावे तीन- वेदनी, कषाय और मारणांतिक । १० सन्नी- छयांसी जुगलिया सन्नी है,असन्नी नहीं। ११ वेद- छयांसी जुगलिया में वेद पावे दोयस्त्रीवेद और पुरुषवेद । ___१२ पजत्ति-च्यांमी जुगलिपा में पर्याप्ति पावे छहों ही। . १३ दृष्टी- तीस अकर्मभूमी में दृष्टी पावे दोय- सम्यकदृष्टी और मिथ्यादृष्टी; और छप्पन अंतदीपोंमें दृष्टी पावे एक मिथ्यादृष्टी। १४ दर्शन- छयांसी जुगलिया में दर्शन पावे दोय-चक्षुदर्शन और अचक्षुदर्शन ।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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