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[४८] ८६ जुगलिया के अधिकार को कहते हैं
जुगलिया के ८६ भेद हैं५ हैमवत, ५ हैरण्यवत, ५ हरिवास, ५ रम्यकवास, ५ देवकुरु ५ उत्तरकुरु और ५६ अंतीप।
१ शरीर- छयांसी जुगलियों में शरीर पावे तीन औदारिक, तैजस और कार्मण।
२अवगाहना-पांच हैमवत और पांच हैरगयवत इन दसों क्षेत्रके मनुष्योंकी अवगाहना ज०देसऊणा एकगाउ की उत्कृष्टी एकगाउ पूरी। पांचहरिवास और पांच रम्यकवास इन दसों क्षेत्रके मनुष्योंकी अवगाहना जल्देसऊणा दोगाउकी उत्कृष्टी दोगाउ पुरी । पांच देवकुरु और पांच उत्तरकुरु इन दसोंकी क्षेत्रके मनुष्यों अवगाहना ज०देस. ऊणा तीन गाउकी उत्कृष्टी तीन गाउ पूरी। छप्पन अंतीपोंके मनुष्यों की अवगाहना ज० देसऊणा
आठ सौ धनुषकी, उत्कृष्टी आठ सौ धनुष की पूरी । ३ संघयण- छयांसी जुगलिया में संघयण पावे एकवज्रऋषभनाराच।
४ संठाण-- छयांसी जुगलिया में मंठाण पावे एक समचउरंस।