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________________ [४०] छउँ ही। ५ कषाय-सन्नी तिर्यच पंचेंद्रिय में कषाय पावे चारूं ही। संज्ञा- सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय में मंज्ञा पावे चारं ही। ७ लेश्या-सन्नी तिर्यच पंचेन्द्रिय में लेझ्या पावे छउं ही। ८ इंद्रिय-मन्त्री तिर्यच पंचेन्द्रिय में इंद्रिय पावे पांचं ही। समुद्घात--सन्नी तिर्यचपंचेन्द्रिय में समुद्घात पावे पांच-वेदनी,कषाय, मारणांतिक, वैक्रिय और तैजस । १० सन्नी-तियचपंचेन्द्रिय सन्नी है असन्नी नहीं। ११ वेद-सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय में वेद पावे तीन ही। १२ पजति- सन्नी तिर्यच पंचेन्द्रिय में पर्याप्ति पावे छउं ही। १३ दृष्टी- सन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय में दृष्टी पावे तीन ही। १४ दर्शन-सन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय में दर्शन पावे तीन-चक्षु दर्शन, अचक्षु दर्शन और अवधि दर्शन । १५ नाण- सन्नी तिर्यच पंचेन्द्रिय में ज्ञान पावे
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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