SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [३६] सन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय का अधिकार कहते हैं १ शरीर- सन्नी तिथंच पंचेन्द्रिय में शरीर पावे चार- औदारिक, वैक्रिय, तैजस और कार्मण । २ अवगाहना-सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय के पांच भेदजलचर,स्थलचर,खेचर,उरपरिसर्पऔर भुजपरिसर्प. जलचर, की अवगाहना ज० अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी १००० जोजन की। थलचर की अवगाहना ज० अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी ६ गाउ की। खेचर की अगाहना ज० अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी प्रत्येक धनुष की। उरपरिसर्प की अवगाहनाज अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी १००० जोजन की। भुजपरिसर्प की अवगाहना ज० अंगुल के अतं. ख्यात में भाग उत्कृष्टी प्रत्येक गाउ की। सन्नी तिर्यंच पंचन्द्रिय वैक्रिय शरीर करे तो अवगाहना ज० अंगुलके संख्यातमें भाग उत्कृष्टी पृथक सौ (ज० २०० उत्कृष्टी ९००) योजन की। ३ संघयण- सन्नी तिर्यच पंचेंद्रिय में संघयण पावे छउं ही। ४ संठाण-~ सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय में संठाण पावे
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy