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________________ [३८] दण्डक प्रासरी दस दण्डक का आवे और दस दण्डक में जावे- दस दण्डक औदारिक का, और असन्नी तियच में दोय गति का आवे- तिथंच गति और मनुष्य गति का और जावे चार गति में- नरकगति तिर्यंच गति, मनुष्य गति और देवगति में; और दण्डक आसरी दस दण्डक का आवे- दस दण्डक औदारिक का; और जावे २२ दण्डक में-१ नारकी, १० भवनपाति, ५ स्थावर, ३ विकलेन्द्रिय, १ तिर्यच पंचेन्द्रिय, १ मनुष्य और १ वागव्यन्तर का। २४ प्राण-बेइद्रिय में प्राण पावे छह-रसेन्द्रिय प्राण, स्पर्शन्द्रिय प्राण, वचनबल प्राण, कायबल प्राण, श्वासोश्वासप्राण और आयुष्य प्राण । तेइन्द्रिय में प्राण पावे सात- घ्राणेन्द्रिय प्राणा रसेन्द्रिय प्राण स्पर्शन्द्रिय प्राण, वचनबल प्रागण, कायबल प्राण, श्वासोश्वास प्राण और आयुष्य प्राण । चोरिन्द्रिय में प्राण पावे आठ चक्षुरिन्द्रिय- प्राण और सात पूर्वोक्त । असन्नी तियेच पंचेन्द्रिय में प्राण पावे नव- श्रोतेंद्रिय प्राण और आठ पूर्वोक्त। २५ योग-तीन बिकलेन्द्रिय और असन्नी तिर्यच पंचेन्द्रिय में योग पावे दोय दोय- वचन का और काया का।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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