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तीन-मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान और अवधि ज्ञान । ___अन्नाण- सन्नी तियेच पंचेन्द्रिय में अज्ञान पावे तीनुं ही।
१६ जोग- सन्नी तियच पंचेन्द्रिय में योग पावे १३- ४ मन का, ४ वचन का और ५ काया का।
औदारिक शरीर काय योग, औदारिक मिश्रशरीर काययोग, वैक्रिय शरीर काययोग, वैक्रिय मिश्र शरीरकाययोग और कार्मण शरीर काययोग ।
१७ उपयोग- सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय में उपयोग पावे नव-३ ज्ञान, ३ अज्ञान और ३ दर्शन । '
१८ आहार- सन्नी तियच पंचेंद्रिय आहार २८८ बोल का लेते हैं जिसमें दिशी आसरी नियमा छह दिशी का। - १९ उववाय-- सन्नी तियचय पंचेन्द्रि एक समन में ज०१-२-३ यावत् संख्याता उत्कृष्ट असंख्याता उपजे।
२० स्थिति-सन्नी तियेच पंचेन्द्रिय के पांच भेदजलचर, थलचर, खेचर, उरपरिसर्प और भुजपरिसर्प ।
जलचर की स्थिति ज० अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्टी एक क्रोड़ पूर्व की।