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________________ [४१] तीन-मति ज्ञान, श्रुत ज्ञान और अवधि ज्ञान । ___अन्नाण- सन्नी तियेच पंचेन्द्रिय में अज्ञान पावे तीनुं ही। १६ जोग- सन्नी तियच पंचेन्द्रिय में योग पावे १३- ४ मन का, ४ वचन का और ५ काया का। औदारिक शरीर काय योग, औदारिक मिश्रशरीर काययोग, वैक्रिय शरीर काययोग, वैक्रिय मिश्र शरीरकाययोग और कार्मण शरीर काययोग । १७ उपयोग- सन्नी तिर्यंच पंचेंद्रिय में उपयोग पावे नव-३ ज्ञान, ३ अज्ञान और ३ दर्शन । ' १८ आहार- सन्नी तियच पंचेंद्रिय आहार २८८ बोल का लेते हैं जिसमें दिशी आसरी नियमा छह दिशी का। - १९ उववाय-- सन्नी तियचय पंचेन्द्रि एक समन में ज०१-२-३ यावत् संख्याता उत्कृष्ट असंख्याता उपजे। २० स्थिति-सन्नी तियेच पंचेन्द्रिय के पांच भेदजलचर, थलचर, खेचर, उरपरिसर्प और भुजपरिसर्प । जलचर की स्थिति ज० अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्टी एक क्रोड़ पूर्व की।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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