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________________ [३३] और आयुष्य प्राण और असन्नी मनुष्य में प्राण पावे आठ पंचेन्द्रिय के, कायवल प्राण श्वासोश्वास प्राण और आयुष्य प्राण । २६ योग-पांच स्थावर और प्रसन्नी मनुष्य में योग पावे एक काया का तीन विकलेन्द्रिय और असन्नी तिर्यंच पंचे न्द्रिय का अधिकार कहते हैं १ शरीर- तीन विकलेन्द्रिय और असन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय में शरीर पावे तीन तीन-औदारिक, तैजस और कार्मण। २ अवगाहना-बेइन्द्रिय की अवगाहनाजघन्य अंगुल के असंख्यात में भाग, उत्कृष्टी १२ योजन की। तेइन्द्रिय की अवगाहनाजघन्य अंगुल के असंख्यात में भाग, उत्कृष्टी ३ गाउ ( कोस ) की। चोइन्द्रिय की अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यात में भाग, उत्कृष्टी ४ गाउ की। असन्नी तिर्यचपंचेन्द्रिय के पांच भेद- . जलचर,स्थलचर,खेचर,उरपरिसर्प और भुजपरिसर्प । जलचर की अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यात में भाग, उत्कृष्टी १००० जोजन की।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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