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________________ [३२] में तो तीन गति का आवे तिर्यचगति का मनुष्य गति का, और देवगतिका, और दोय गति में जावे, तिर्यंच गति में और मनुष्य गति में । दण्डक आसरी २३दण्डकका आवे--भुवनपति, ५स्थावर,३बिकलेन्द्रिय, १तिर्यचपंचेन्द्रिय, १मनुष्य, श्वाणव्यन्तर, १ज्योतिषी, १ वैमानिक का; और दस दण्डक में जावे ५ स्थावर , ३ विकलेन्द्रिय,१तिर्यंचपंचेन्द्रिय और १ मनुष्य का । तेउकाय वायुकाय में दो गतिका आवे-तिर्यंच गति का और मनुष्य गतिका, और जावे एक तिर्यंच गति में। दण्डक आसरी दस दण्डक से आवे औदारिक का दस दण्डक उपरोक्त । जावे नव दण्डक में.-५ स्थावर ३ विकलेन्द्रिय और तिर्यचपंचेन्द्रियका, और असन्नी मनुष्य दोय गति का आवे-तियचगति से और मनुष्य गति से, और दो गति में जावे- तिर्यच गति में और मनुष्य गति में और दण्डक आसरी आठ दण्डक का आवे- १पृथ्वीकाय, १ अपकाय, और वनस्पति काय, ३ विकलेन्द्रिय, तिर्यचपंचेन्द्रिय और मनुष्यका, जावे दस दण्डक में उपरोक्त औदारिक का। ____२४ प्राण-पांच स्थावर में प्राण पावे चार, स्पर्शेन्द्रिय प्राण, कायबल प्राण, श्वासोश्वास प्राण,
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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