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________________ [२२] के उत्तरदिशिका भवनपति देवता की स्थिति ज० दश हजार वर्ष की । उत्कृष्टी देशउणा २ पल्योपम की । उनकी देवी की स्थिति ज०दश हजार वर्षकी । उत्कृष्टी देशउणा १ पल्योपम की । बाणमत्तर देवता की स्थिति ज०दश हजार वर्ष की । उत्कृष्टी ९पल्योपम की । उनकी देवी की स्थिति ज० दश हजार वर्ष की । उत्कृष्टी अर्द्ध पल्कोपमकी | YOJTHICK ज्योतिषी देवता की स्थिति इनके पांच भेद - १ चन्द्रमा, २ सूर्य, ३ ग्रह, ४ नक्षत्र, ५ तारा । चन्द्रविमानवासी देवताकी स्थिति ज०पाव पल्योपम की उ०१ पाल्योपम और एक लाख वर्ष की । उनके देव्यां की स्थिति ज० पाव पल्योपमकी उ० आध पल्योपम और ५० हजार वर्ष की । सूर्यविमान वासी देवता की स्थिति ज० पात्र पल्योपमकी उ० १ पल्योपम और १ हजार वर्षकी । उनकी देव्यांकी स्थिति ज०पावपल्योपमकी उ० आाधापल्योपम और ५००वर्ष की। ग्रहविमाणवासी देवताकी स्थिति ज०पाव पल्योपमकी उ० १ पल्योपमकी, उनके देव्यांकी स्थिति ज० पाव पल्योपम की उ० आधा पल्योपमकी |
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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