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________________ [२३] नक्षत्र बिमान वासी देवता की स्थिति - ज० पाव पल्योपमकी उ० आधा पल्योपम की । इनके देव्यांकी स्थिति ज० पाव पल्योपम की उ० पाव पल्योपम जाझेरी । ताराविमानवासी देवताकी स्थिति ज०पल्योपमके आठमें भागकी उ०पाव पल्योपमकी उनकी देव्यांकी स्थिति 'ज० पल्योपमके आठमें भागकी उ०पल्योपमके आाउमें भाग जारी । वैमानिक देवता की स्थिति — १ पहिले देवलोक के देवता की स्थिति ज० १ पल्योपमकी उ०२ सागरोपम की । उनके देवीयां दोय प्रकारकी - १परिगृहीता और अपरिगृहीता; परिगृहीता देवीयां की स्थिति ज० १ पल्योपम की उ० ७ पल्योपम की । अपरिगृहीता देवीयां की स्थिति ज० १ पल्योपम की उ० ५० पत्योपम की । २ दूसरे देवलोक के देवता की स्थिति ज० १ पल्योपम जारी उ० २ सागरोपम जारी, उनके देवीयां दो प्रकार की- १ परिगृहीता और अपरिगृहीता । परिगृहीता देवीयां की स्थिति ज०१ पल्योपम जारी उ०९ पल्योपम की । अपरिगृहीता देवीयां की स्थिति ज०१ पल्योपम जाभेरी उ०५५ पल्योपमकी ।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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