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________________ [२०] संख्याता उ० असंख्याता उपजे । नवमें देवलोक से लगा कर यावत् सर्वार्थसिद्ध तक ज० १.२.३ जाव उ० संख्याता उपजे | २१ स्थिति - समुच्चय नारकीका नेरियाकी स्थिति ज० दश हजार वर्ष की उत्कृष्टी ३३ सागरोपम की । १ पहिली नारकी का नेरिया की स्थिति ज० दश हजार वर्ष की उ० १ सागरोपम की । २ दुसरी नारकी का नेरिया की स्थिति ज० एक सागरोपमकी उ० ३ सागरोपम की । ३ तीसरी नारकी का नेरिया की स्थिति ज० ३ सागरोपमकी उ० ७ सागरोपम की । ४ चौथी नारकी का नेरिया की स्थिति ज० ७ सागरोपमकी उ० १० सागरोपम की । ५ पांचमी नारकी का नेरिया की स्थिति ज० १० सागरोपमकी उ० १७ सागरोपमकी | ६ छुट्टी नारकी का नेरिया की स्थिति ज० १७ सागरोपमकी उ० २२ सा रोपम की । ७ सातमी नारकी का नेरिया की स्थिति ज० २२ सागरोपमकी उ० ३३ साग़रोपम की ।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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