________________
[ १६ ]
चक्षु दर्शन, अचक्षु दर्शन, अवधि दर्शन ।
१५ नाण- नारकी, और देवता में ज्ञान पावे तीन मति ज्ञान श्रुत ज्ञान, अवधि ज्ञान ।
१६ अनाण - नारकी और भुवनपतिसे नवग्रैवेयक तक अज्ञान पावे तीन, मति अज्ञान, श्रुत ज्ञान, विभंगज्ञान | पांच अनुतर विमान में अज्ञान पावे नहीं |
१७ योग - नारकी और देवता में योग पावे इग्यारे ४ मन का, ४ वचन का, ३ काया का, (वैक्रियशरीरकाययोग, वैक्रियमिश्रशरीरकाययोग और कार्मणशरीरकाययोग | )
१८ उपयोग - नारकी और देवतामें नवग्रैवेयक तक उपयोग पावे नव - ३ ज्ञान ३ अज्ञान ३ दर्शन । पांच अनुत्तर विमानमें उपयोग पावे छह । तीन ज्ञान और तीन दर्शन ।
१९ आहार - नारकी और देवता आहार लेवे २८८ बोल का । जिसमें दिशि आसरी नियमा छह दिशिका आहार लेवें ।
२० उबवाय - नारकी और भुवनपतिसे लगा कर यावत् आठमें देवलोक तक एक समय में ज०१-२-३जाव