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________________ [१८] वेदनी, कषाय, मरणांतिक, वैक्रिया भुवनपतिसे जाव बार में देवलोक तक समुद्घात पावे पांच अनुकर्म की । नवग्रैवेयक और पांच अनुत्तर विमान में समुद्घात पावे पांच, परंतु समुद्घात करे तीन, वेदनी कषाय और मरणान्तिक। १० सन्नी-पहिली नारकी, भुवनपति, वाणव्यंतर में सन्नी असन्नी दोनों उपजे । दुजी नारकी से सातमी नारकी तक तथा ज्योतिषी से पांच अनुत्तर विमान तक सन्नी उपजे। ११ वेद-नारकी में वेद पावे एक- नपुंसक । भुवनपति, वाणव्यंतर, जोतिषी, पहिले दूजे देवलोक में वेद पावे दोय-स्त्रीवेद, पुरुष वेद । तीसरे देवलोक से सर्वार्थसिद्धि विमाण तक वेद पावे एक-पुरुषवेद ।। १२ पन्जति- नारकी और देवता में पर्याय पावे पांच२ कारण भाषा और मन दोनों सामिल बंधती हैं । १३ दृष्टी- नारकी और भुवनपति से बारमें देवलोक तक दृष्टी पावे तीनही । नवौवेयक में दृष्टी पावे दोय-सम्यग्दृष्टी मिथ्यादृष्टी । पांच अनुत्तर विमान में दृष्टी पावे एक सम्यग्दृष्टी । १४ दर्शन-नारकी,और देवतामें दर्शन पावे तीन
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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