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________________ [१५] २४ प्राण द्वार - प्राण किस को कहते हैं? जीवन के आधारभूत पदार्थों को प्राण कहते हैं, इसके दश भेद हैं- पांच इंद्रिये १ श्रोतेन्द्रिय, २ चक्षुरिन्द्रिय, ३ घ्राणेन्द्रिय, ४ जिह्वेन्द्रिय, ५ स्पर्शनेन्द्रिय, दमनोबल, ७चचनबल, ८ कायबल ९ श्वासोच्छ्वास, १० आयुष । २५ योग द्वार योग किस को कहते हैं? लक्षण पूर्ववत्, उस के तीन भेद हैं-१ मनयोग, २ वचनयोग, ३ काययोग । अब एक दंडक नारकी का, तेरह दंडक देवता के (भुवनपति का १० दंडक, वानव्यन्तर का १ दंडक, ज्योतिषी का १ दण्डक, वैमानिक का १ दण्डक ) ये • १४ दंडक ऊपर २५ द्वार कहते हैं— १ शरीर - शरीर पावे तीन वैक्रिय, तैजस कार्मण । २ अवगाहना - पहली नारकी से सातमी नारकी तक भवधारिणी शरीर की अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यात में भाग । उत्कृष्टी पहली नारकी की ७ ||| धनुष ६ अंगुल की, दुजी नारकी की १५ || धनुष १२ अंगुल की तीजी ३१/ चौथी ६२॥ 35 "" 55 ""
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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