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________________ पांचमी ,, १३५ ,, ट्ठी , २०० ,, मातमी ,, ५०० ,, . उत्तरवैक्रिय करे तो जघन्य अंगुल के संख्यातमें भाग, उत्कृष्टी आप आपके अवगाहनासे दूनी जैसेसातमी नारकीरी भवधारणी शरीर की ५०० धनुषकी उत्तरवैक्रिय करे तो १००० धनुषकी । भुवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी, पहिले दूजे देव लोककी अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यात में भाग,उत्कृष्टी हाथकी। तीजे देवलोक से सर्वार्थसिद्ध तक जघन्य अंगुल के असंख्यात में भाग उत्कृष्टी अलग अलग तीजे, चौथे, देव लोककी ६ हाथकी पांचवे छठे , . ५,, सातवे आठवे ,, ,, नवमें से बारमें ,, ,, नव ग्रैवेयक की ,, २,, पांच अनुत्तर विमानमें एक हाथकी । उतर वैक्रिय करे तो जघन्य अंगुलके संख्यात में भाग, उत्कृष्टी बार में देव लोकतक लाख जोजन की । नवौवेयकका तथा अनुत्तर विमान का देवता वैक्रिय करे नहीं। " to ex
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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