SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [१४] २१ समोहया असमोहया द्वार-- समोहया असमोहया मरण किसको कहते हैं? समोहया मरण- जो ईलिका गति समुद्धात कर के मरे, अर्थात् कीडीकी कतार की तरह जीव के प्रदेश अलग अलग निकले उसे समोहया मरण कहते हैं । असमोहयामरण-जो गेंद (दडी) गति समुद्धात कर के मरे अर्थात् बन्दूककी गोलीके माफक जीवके प्रदेश एक साथ निकले उसे असमोहयामरण कहते हैं। २२ चवण द्वारच्यवन किसको कहते हैं? जीव वर्तमान भव को छोड़ कर के अन्य भव की पर्याय को धारण करे उसे च्यवन कहते हैं, इस का प्रमाण-- १-२-३, जाव संख्याता असंख्याता अनन्ता। २३ गइआगई द्वारगल्यागति किसको कहते हैं? जीव मर कर भवा. न्तर में जावे उसे गति कहते हैं,हमका पांच भेद हैं१ नारकी, २ तिर्यच, ३मनुष्य, ४देवता, सिद्धगति । और जो जीव भवान्तर मे आ कर उत्पन्न होवे उसे आगति कहते हैं। उसके चार भेद हैं-- १ नारकी, २ तिर्यच, ३ मनुष्य, ४ देवता ।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy