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५आहारशरीरकाययोग, ६ अाहारकमिश्रशरीरकाययोग, ७ कार्मणशरीरकाययोग।
१७ उपयोग द्वारउपयोग किसको कहते हैं? ज्ञान दर्शनकी प्रवृत्ति को उपयोग कहते हैं, उसके बारह भेद हैं-५ ज्ञान, ३ अज्ञान, ४ दर्शन ।
१८ किमाहार द्वारजीव किस प्रकारके पुद्गलों का आहार करता है? २८८ प्रकार के पुद्गलों का आहार करता है।
१९ उववाय द्वारउपपात किसको कहते हैं? जीव पूर्व भव से प्रा कर उपजे उसे उपपात कहते हैं, उनका प्रमाण१.२.३ जावसंख्याता, असंख्याता, अनन्ता।
२० ठिई द्वारस्थिति किसको कहते हैं?जीव जितना काल तक जिस भवकी पर्याय को धारण करे उसे स्थिति कहते हैं, उसका प्रमाण- जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट ३३ सागर।
१ विशेष खुलासा देखो जीवाभिगमसूत्र प्रथम प्रतिपत्ति । पत्र ११।२।३ (जीवा० ) देवचद लालभाई