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________________ [१२] ३ अवधिज्ञान - द्रव्य क्षेत्र काल भावकी मर्यादा लिये जो रूपी पदार्थको स्पष्ट जाने । ४ मनः पर्यवज्ञान द्रव्य क्षेत्र काल भावकी मर्यादा को लिये हुए जो दूसरे के मनमें तिष्ठते (ठहरे हुए रूपी पदार्थ को स्पष्ट जाने । ५ केवल ज्ञान - जो त्रिकालवर्ती समस्त पदार्थों को युगपत् ( एक साथ ) स्पष्ट जाने । मिथ्याज्ञान के तीन भेद हैं- १ मतिज्ञान, २ श्रुतअज्ञान, ३ विभंगज्ञान। ये तीन घ्यज्ञान हैं । १६ योग द्वार - योग किसको कहते हैं ? मन वचन काय की प्रत्ति को योग कहते हैं, इसके पन्द्रह भेद हैं- ४मनके, ४ वचन ( भाषा) के, ७ कायाके। मन के चार भेद इस प्रकार हैं- १ सत मनयोग, २ असत महयोग, ३ मिश्र मनयोग, ४ व्यवहार मनयोग | बचन ( भाषा) के चार भेद इस प्रकार हैं- १ सन वचन योग, २ असत वचन योग, ३ मिश्रबचन योग, ४ व्यवहार वचन योग । काय के सात भेद इस प्रकार हैं-१ औदारिकशरीरकाययोग, २ औदारिक मिश्रशरीरका प्रयोग, ३वैक्रियशरीरकाययोग, ४ वैक्रीयमिश्रशरीरकाययोग,
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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