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________________ [११] २ चक्षुदर्शन - नेत्र के सिवाय दूसरी इन्द्रियों और मन सम्बन्धी मतिज्ञान के पहले होने वाले सामान्य अबलोकन को प्रचक्षु दर्शन कहते हैं । ३ अवधिदर्शन - अवधिज्ञान से पहिले होने वाले सामान्य अवलोकन को अवधि दर्शन कहते हैं । ४ केवलदर्शन- केवलज्ञान के बाद होने वाले सामान्य धर्म के अवलोकन ( उपयोग ) को केवल दर्शन कहते हैं । १५ नाण द्वार - ज्ञान किसको कहते हैं ? किसी विवक्षित पदार्थ के विशेषधर्म को विषय करने वाले को ज्ञान कहते हैं। उसके दो भेद हैं- सम्यग्ज्ञान । मिथ्याज्ञान, सम्यग ज्ञान के पांच भेद हैं- मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधि - ज्ञान, मनः पर्यवज्ञान, केवलज्ञान । १ मतिज्ञान- इन्द्रिय और मनकी सहायता से जो ज्ञान हो, उसको मतिज्ञान कहते हैं । २ श्रुतज्ञान- मतिज्ञान से जाने हुए पदार्थ से सम्बन्ध लिये हुए किसी दूसरे पदार्थ के ज्ञानको श्रुतज्ञान कहते है, जैसे- "घट" शब्द सुननेके अनन्तर उत्पन्न हुआ कंबुग्रीवादि रूप घट का ज्ञान ।
SR No.022356
Book TitleLaghu Dandak Ka Thokda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages60
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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