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(२४) १६६७ में 'भक्तामर' स्तोत्रकी संस्कृत टीका लिखी है, और दूसरे पाण्डे रायमल्ल, जिन्होंने समयसारकी वह बालबोध भाषा टीका लिखी है जिसका कविवर बनारसीदासजीने अपने समयसार नाटकमें उल्लेख किया है । ये लोग लाटीसंहिताके कर्ता कविराजमल्लसे भिन्न थे । अतः कविराजमल्लके ग्रन्थोंकी खोज करनेवाले विद्वानोंको इस विषयका ध्यान रखना चाहिये।"