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(६७) पत्र अने करवतनीधारथी अनंतगुणो करकश स्पर्श कृष्ण नील अने कापोत लेश्यानो जाणवो, बुरो ना. मनीवनस्पति,सरसवनाफुल श्रने मांखणथीथनंतगुणो सुमाळस्पर्श तेजो, पद्म अने शुक्ललेश्यानो जाणवो. . स्थानक-असंख्याती उत्सर्पाणी, श्रवसीणीना जेटलासमयथाय, अथवा लोकनाजेटलाप्रदेश थाय तेटला खेश्याना स्थानक डे ते जाणवा. ___ स्थिति-खेड्याजीवनेकेटलोवखत रहे एम कहेवू तेनुनामस्थितिकद्देवाय. आए लेश्यामांथी दरेकलेश्या उगमांउनी(जघन्य) अंतरमुहुर्तरहे अने वधारेमा वधारे (उत्कृष्ट) कृष्णवेश्यानीस्थिति. तेत्रीससागरोपमउपरअंतरमुहुर्तनी. नीललेश्यानी उत्कृष्टीस्थिति दशसागरोपमउपर पख्योपमनोअसंख्यातमो नाग, कापोत लेश्यानी उत्कृष्टीस्थिति त्रणसागरोपमउपर पस्योपमनोयसंख्यातमोनाग, लेजोलेश्यानी उत्कृष्टी स्थिति सागरोपमउपर पक्ष्योपमनोअसंख्यातमो नाग, पद्मखेश्यानी उत्कृष्टीस्थिति दशसागरोपमनपर अंतरमुहुर्त श्रने शुक्ल लेश्यानी उत्कृष्टी स्थिति तेत्रीस