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(१०) विशेष , के, एकैडियना पांच दमकना जीवोतो, प्रण, चार, पांच अथवा बएदिशाओनो आहार ग्रहण करेडे, कारणके चौदराजसोक, सुक्ष्म एकेंडियी जर्यो , अने चौदराजलोक पनी अलोक , तेमा पु. दुगलादिकनहिहोवाथी आहार नहि, माटे जे शुक्ष्मजीवो लोकनामध्यन्नागमां तेने तो गए दिशाओनो आहार होय, पण जे लोकने मे रहेला , एवा जीवोने उपर अलोक होवाथी उर्ध्व दिशीनो आहार होय नहि माटे ते जीवोने उर्वदिशीसिवाय बाकीनी पांच दिशानो आहार होय; एवीज़ रीते लोकना मे रहेला जीवोने बेदिशीए अलोक होय तेने चारदिशानो अने जेने त्रण दिशाएअलोक होय तेने खाकीनी त्रणदिशानो आहार होय एम जाणवू.
॥ इति किमाहार हार ॥
अथ चोवीशमुं जीवनेद हार. जीवन्नेद-कर्मगति जात्यादिकनी अपेक्षाए जीवनी विशेष व्याख्या तेनुं नाम जीवनेद. जीवना मुख्य बे नेद , एक मुक्तिना अने बीजा संसारी,