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(११ए) त्रीजु सत्यमनयोग, चोथु असत्यामृषामनयोग, पांचमुं श्रोदारीककाययोग, बहु औदारीकमिश्र काययोग अने सातमुं कामर्णकाययोग एम सात योग कह्यां . चौदमा अयोगी गुणस्थानके योगने रुंधे माटे एके योग होय नही अयोगी ने माटे एम जाणवू. पहेला मिथ्यात्व गुणस्थानके अने बीजा सास्वादन गुणस्थानके, त्रण अज्ञान अने चक्षु दर्शन, अचकुदर्शन तथा अवधिदर्शन सहीत न उपयोग सिहांतने विषे कह्या . त्रीजा मिश्र गुणस्थानके त्रण अज्ञान झानेकरीमिश्र अने त्रण दर्शन एम 3 उपयोग होय . अविरति सम्यक् गुणस्थानके अने देशविरति गुणस्थानके, मतिज्ञान, श्रुतज्ञान,अवधिज्ञान अने चतु, अचहु तथा अवधिदर्शन सहीत ब उपयोग कह्या बे, उहा प्रमत्तगुणस्थानकथी बा. रमा दीणमोहगुणस्थानक सुधी पूर्वोक्त उ उपयोगनी साथे मनःपर्यवज्ञान सहीत, सात उपयोग कह्या . तेरमे अने चौदमे गुणस्थानके केवळ ज्ञान अने केवळ दर्शन एवं बे उपयोग जाणवा ? ज्ञाना