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________________ ६७ एटले नोरकीनो एक दमक अने पंचेंजिय तिर्यचनो एक दंमक तथा देवताना तेर दमक, ए पंदर दमकने विषे पूर्वोक्त बार उपयोगमांथी एक मनःपर्यवकान, बीजें केवलज्ञान अने त्रीजुं केवलदर्शन, त्रण उपयोग टालीने बाकी ( नव के०) नव, एटले नव उपयोग होय, तथा ( विगलागे के०) विकलहिके, एटले विकलेंपियना बेइंघिय अने तेइं. जिय, ए बे दमकने विषे एक मतिज्ञान, बीजु श्रुतज्ञान, त्रीजु मतिअज्ञान, चोथु श्रुतअज्ञान अने पांचमुं अचकुदर्शन ए (पण के० ) पंच, एटले पांच उपयोग होय, तथा (चरिंदिसु के०) चतुरिंख्येिषु, एटले चौरिंजियना दमकने विषे पूर्वोक्त पांच उपयोगनी साथे उहं चतुदर्शन नेलीए त्यारे ( बकं के ) षटकं, एटले उ उपयोग थाय. संमृर्बिम तिर्यचने पण ए ब होय. तथा ( थावरे के ) स्थावरे, एटले एकेद्रियादिक पांच स्थावरना पांच दंमके एक मतिअज्ञान, बीजुं श्रुतअज्ञान अने त्रीजु अचकुदर्शन, ए (तियगं के० ) त्रयकं, एटले त्रण उ. पयोग होय. तथा संमूर्बिम मनुष्यने मतियज्ञान,
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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