SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्सुरयोः, एटले गर्भज तिर्यचनो एक दमक अने देवोना तेर दमक, ए चौद दमकने विषे एक आहारक अने बीजो केवल ए बे समुद्घात वर्जी बाकीना (पण के० ) पंच, एटले पांच समुद्घात होय. तथा (नारय वासु के) नारकवाय्वोः, एटले नारकीनो एक दमक अने वायुकायनोएक दंगक, ए बे दमकने विषे एक वेदना, बीजो कषाय, त्रीजो मरण अने चोयो वैक्रिय, ए (चउर के०) चत्वारः, एटले चार समुद्घात होय,अने (सेसे के०) शेषे, एटले शेष रह्या जे एक वायु काय विना बाकीना चार स्थावर जीवोनाचार दमक, तेने विषे एक वेदना, बीजो कषाय अने त्रीजो मरण, ए (तिय के०) त्रयः, त्रण समुद्घात होय. ए चोवीश दमके सात समुद्घात, नवमुं हार कह्यु. हवे दशमुं द्रष्टिद्वार कहे छे. (विगल उदिट्टी के०) विकल द्विदृष्टि, एटले विकलेजियना त्रण दमकने विषे एक तो मिथ्या दृष्टि अने केटलाएक विकलेंप्रिय जीव अपर्याप्तावस्थाए समकिती पण होय, माटे बीजी समयगृदृष्टि, ए बे
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy