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________________ हजार कांचनगिरि पर्वत बे, त्यां ए देवो रहे . एम ए चार स्थानके तिर्यगूजनक देवो रहे ले. ए देवोर्नु एक पक्ष्योपम आयु . ए अधिकार श्रीजगवती सूत्रना चौदमा शतकना पाठमा उद्देशामां . ए सर्व एकावन जातिना देवता व्यंतर मध्ये जसे. ए सर्वन समचतुरस्र संस्थान बे. ____हवे ज्योतिषी देवोना दश नेद कहे जे चंद्रमा, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र अने तारा ए पांच जातिना अढी द्वीपमा फरे , ते चर कहेवाय, अने पांच जातिना अढी छीपथी बहार बे, ते फरता नथी, माटे स्थिर कहेवाय. ए दश नेद थया. एने समचतुरस्र संस्थान . हवे नव जातिना लोकांतिक देवो कहे . १ सारस्वत, २ थादित्य, ३ वह्नि, ४ अरुण, ५ गदतोय, ६ तुषित, ७ अव्याबाध, आग्नेय, ए अरिष्ट. हवे त्रण जातिना किटिबषिया देवो बहे - पहेला सोधर्म अने ईशान ए बे देवलोकनी हेते रहे जे. बीजा सनत्कुमार अने माहेछ ए बे देवलोकनी
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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