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________________ ४६ जक, लेण एटले घर जाणवू. ५ पुष्पजूंनक, ६ फलजूंजक, ७ पुष्पफलज़ंजक, ७ शयनजंजक, ए विद्या. जक, १० अवियत्तजनक. ए दश नेदवाला तिर्यगजंजक देवोना रहेवानां स्थान कहे . अढी छीपमा पांच महाविदेहक्षेत्रना १६० विजयना १६० वैताढय, अने पांच जरत तथा पांच ऐवतना दश वैताढय मली १७० दीर्घ वैताढय पर्वत डे, तेने विषे ए देवो रहे , तथा वली देवकुरुमांहे शीतोदा नदीने बे पासे चित्रकूट अने विचित्रकूट नामे पर्वत बे, त्यां रहे . तथा उत्तरकुरूमांहे सीता नामे नदी , तेनी बे पासे यमक नामे बे पर्वत , त्यां रहे . तथा सीता नदीना नीलबंत प्रमुख पांच अह बे, ते एकेक द्रहनी पूर्वे अने पश्चिमे दश कांचनगिरि पर्वत करतां एकसो कांचनगिरि बे. एम सीतोदा नदीना नीलवंत प्र. मुख पांच प्रहनी बे पासेना एकसो कांचनगिरि मली बसें कांचनगिरि जंबूझीपना . तथा तेथी बमणा धातकीखंमना चारसे कांचनगिरि अने पुष्कराईना पण घारसें मली बढी छीपमां एक
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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