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________________ ३४ धनुष्य, बीजाए सामा पंदर धनुष्य ने बार अंगुल, पहेलाए पोणा आठ धनुष्य ने ब अंगुल, ए प्रमाणे शरीर, मान जाणवू. देवतामां नवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क तथा सो. धर्म अने ईशान ए बे देवलोक पर्यंत सात हाथर्नु शरीर जाणवू. त्यार पड़ी त्रीजा सनत्कुमार अने चोथा महेंड ए वे देवलोकमां उ हाथर्नु शरीर जाणवू; अने पांचमा ब्रह्म तथा बहा लांतक ए बे देवलोकमां पांच हायर्नु शरीर जोण. तथा सातमा शुक्र अने बाधमां सहस्रार ए बे देवलोकमां चार हाथy शरीर जाणवू. तथा नवमा बानत, दशमा प्राणत, अगीयारमा बा. रण अने बारमा अच्युत ए चार देवलोकमां त्रण हाथy शरीर जाणवू. तथा नव ग्रैवेयके बे हायर्नु शरीर अने पांच अनुत्तर विमाने एक हाथर्नु शरीर जाणवू ॥६॥ गन्नतिरिसहस्हजोयण, वणस्सअदियजोयण सहस्सं ॥ नरतेइंदितिगाउ, बेइंदिय जोयणे बार ॥ ७ ॥
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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