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________________ १०३ अंतरछीप अने एक नारकी, एवं १०७ पर्याप्ता तथा १०० अपर्याप्ता मली २१६ थया. तेनी साथे १७ए पूर्वना नेलता ३७५ नेद थया. तेमां एनी गति जाणवी. तया गर्नज तिर्यच पंचेंज्यिमा २६७ नेदना जीव आवे, तेनां नाम कहे . तेमां पूर्वे कहेला १७ए नेद, तथा पंदर परमाधामी, दश नवनपति, सोल व्यंतर, दश तिर्यग्जूनक, दश ज्योतिषी, त्रण किल्बिषीया, नव लोकांतिक अने सौधर्मथी मामीने सहस्रार पर्यंत आठ देवलोकना देवो मली र नेद देवलोकना तथा सात नारकी एवं जज नेद पूर्वोक्त १७ए साथे मेलवीए, त्यारे २६७ नेद थाय. तथा ए गर्नज तिर्यचमांथी नीकट्या जीव ते ५५७ नेदमां जाय, ते कहे . तेमां १७ए पूर्वे कहेला अने बीजा पण पूर्वे कहेला देवताना ७१ नेद अने सात नारकीना सात नेद मलीने अग्याशी नेदना जीवोने पर्याप्ता तथा अपर्याप्ता करीए, त्यारे १७६ नेद थाय. तथा त्रीश अकर्मचूमि अने बप्पन अंतरछीप मली ७६ नेदना मनुष्यने पर्याप्ता तथा अपर्याप्ता गणतां १७२ नेद थाय. तेने पूर्वोक्त १७ए
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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