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________________ प्रवचनसार टीका, पंचास्तिकाम टीका आदि बहुत से अन्थ हैं। परीक्षामुखसूत्र (न्यायसूत्र)-इसे आचार्य प्रवर श्री माणिक्यनंदि स्वामी ने वि० सं० ५६९ में बनाया है । ___ आलापपद्धति-इसे श्री देवसेनाचार्य स्वामी ने वि. सं० ९९० में बनाया है । इनके बनाये हुए प्राकृतनयचक्र, प्राकृतज्ञानसार, प्राकृतभावसंग्रह, प्राकृतदर्शनसार आदि ग्रंथ हैं। ___नयविवरण-इसके कर्ता का नाम अभीतक ज्ञाव नहीं हुआ है। आत्मानुशासन- इसे स्वामी गुणभद्राचार्य ने बनाया है जो वि० सं० ८०७ में हुए हैं। इनके बनाये हुए जिनसेनाचार्यकृत आदि पुराण का उत्तर भाग, उत्तर पुराण, भावसंग्रह, टिप्पणीग्रन्थ, पूजाकल्प, जिनदत्तकाव्य आदि हैं। ___ आप्त परीक्षा, और पात्रकेसरिस्तोत्र-इसके कती आचार्य विद्यानंदि ( पात्रकेसरी ) वि० सं० की ९वीं शताब्दी में हुए हैं। इनके बनाये हुए विद्यानंदि परीक्षा, प्रमाण-परीक्षा, प्रमाण-निसंय, तर्क-परीक्षा, पत्र परीक्षा, प्रमाण मीमांसा, श्लो
SR No.022338
Book TitleDigambar Jain Granth Bhandar Kashi Ka Pratham Gucchak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Choudhary
PublisherPannalal Choudhary
Publication Year1926
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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