________________
उपाध्याय विनयविजय : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
___45 ४. जगत् गुरु हीरविजयसूरी चित्रकथा, प्रकाशन-प्राकृत भारती अकादमी, पृष्ठ 19 ५. (अ) लोकप्रकाश (आ) हैमलघुप्रक्रिया (इ) हैमप्रकाश (ई) श्रीपाल राजानो रास (उ) पट्टावली
सज्झाय ६. लोकप्रकाश 34वें सर्ग पश्चात् प्रशस्ति से। ७. इन्दुदूतम, श्लोक 4 ८. इन्दुदूतम श्लोक 32 ६. शान्तसुधारस, श्लोक 5 १०. शान्तसुधारस, श्लोक 7, पृष्ठ 140 ११. श्रीपालराजानो रास की प्रशस्ति में १२. विनय सौरभ, पृष्ठ 8 १३. शान्तसुधारस, मुनि राजेन्द्रकुमार १४. शान्तसधारस, अनित्य भावना, गीतिका सं. 1, पृष्ठ सं.5 १५. शान्तसुधारस, संसार भावना, गीतिका सं. 1, पृष्ठ सं. 16, सम्पादक- मुनि राजेन्द्र कुमार,
प्रकाशक, आदर्श साहित्य संघ, चुरू १६. शान्तसुधारस, मैत्री भावना, श्लोक 3, पृष्ठ सं. 70 १७. शान्तसुधारस, संवर भावना, गोपाष्टक 2, पृष्ठ सं. 41 १८. विनयसौरभ, पृष्ठ 78 १६. जिनसहस्रनाम स्तोत्र, श्लोक 17 २०. इन्दुदूतम्, श्लोक 18 २१. इन्दुदूतम, श्लोक 27 २२. इन्दुदूतम, श्लोक 49 २३. इन्दुदूतम, श्लोक 121 २४. आनन्द लेख, प्रथम अधिकार, श्लोक 51 २५. आनन्द लेख, द्वितीय अधिकार, श्लोक 79 २६. आनन्द लेख, तृतीय अधिकार, श्लोक 108 २७. आनन्द लेख, तृतीय अधिकार, श्लोक 127-128 के मध्य उद्धृत २८. आनन्द लेख, पंचम अधिकार, श्लोक 218 २६. शान्तसुधारस, धर्म भावना, श्लोक 4 ३०. शान्तसुधारस, अशौच भावना, श्लोक 3 ३१. सर्वे नया अपि विरोधभृतो मिथस्ते, सम्भूय साधु समयं भगवन् । भजन्ते । भूपा इव प्रतिभटा भुवि
सार्वभौमपादाम्बुजं प्रधनयुक्तिपराजिता द्राक।।-नयकर्णिका, श्लोक 22 ३२. यथोत्तरं विशुद्धाः स्युर्नयाः सप्ताप्यमी तथा। एकैकः स्याच्छतं भेदास्ततः सप्तशताप्यमी।।
-नयकर्णिका, श्लोक 19, प्रकाशक सन्मति ज्ञानपीठ लोहामण्डी, आगरा ३३. जिनेन्द्र भक्ति प्रकाश में विनयविजय कृत पंच समवाय की ढाल 6 का पद्य 2 ३४. न्यायसूत्र भारतीय विद्या प्रकाशन, संस्करण 1999, प्रथम अध्याय, द्वितीय आहिनक, सूत्र 2