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जीव-विवेचन (3)
239 ३२३. (क) लोकप्रकाश, 3.1216-1217
(ख) षट्खण्डागम धवला टीका, जीवस्थानं, 1.1.20, पृष्ठ सं. 190-191 ३२४. गोम्मटसार जीवकाण्ड, कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका, गाथा 62 की टीका, पृष्ठ सं. 127 ३२५. लोकप्रकाश, पृष्ठ सं. 292 ३२६. लोकप्रकाश, पृष्ठ सं. 292 ३२७. लोकप्रकाश, 3.1219-1238 ३२८. (क) लोकप्रकाश, 3.1248
(ख) मनोवाक्कायप्रवृत्तिर्योग: योगेन सह वर्तन्त इति सयोगाः। सयोगाश्च ते केवलिनश्च सयोगकेवलिनः
-षट्खण्डागम धवला टीका, जीवस्थान, 1.1.21, पृष्ठ सं. 192 ३२६. लोकप्रकाश 3.1249-1251__ ३३०. (क) लोकप्रकाश, 3.246
(ख) प्रशमरति प्रकरण, गाथा 273
(ग) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2170 ३३२. (क) लोकप्रकाश, 3.1261
(ख) 'प्रदाह्य घातिकर्माणि, शुक्लध्यानकृशानुना।
अयोगो याति शैलेशो, मोक्षलक्ष्मी निरासवः।।-पंचसंग्रह (संस्कृत) 1.50 ३३३. (क) लोकप्रकाश, 3.1262-126
(ख) विशेषावश्यक भाष्य, 3059, 3064, 3068, 3069, 3082 और 3089