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लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन
१७८. व्याख्याप्रज्ञप्ति सं. 1, उद्देशक 9. सूत्र 14 १७६. लोकप्रकाश, 4.129 और 130 १५०. लोकप्रकाश, 5.314 १८१. लोकप्रकाश, 6.46 १६२. लोकप्रकाश, 6.179 १५३. लोकप्रकाश, 6.180 १८४. लोकप्रकाश, 7.15 और 16 १८५. लोकप्रकाश, 7.111 १८६. लोकप्रकाश, 8.90 १८७. लोकप्रकाश, 9.19 १८८. 'विग्गहगइमावन्ना केवलिणो समोहया अजोगी य।
सिद्धा य अणाहारा सेसा आहारगा जीवा।।-प्रवचनसारोद्धार, गाथा 1319 १८६. लोकप्रकाश, 3.1120 १६०. शरीरोपष्टम्भकानां पुद्गलानां समाहृतिः ।
त्वगिन्द्रियादिस्पर्शेन लोमाहारः स उच्यते। लोकप्रकाश, 3.1126 १६१. मुखे कवलनिक्षेपादसौ कावलिकाभिधः। - लोकप्रकाश, 3.1127 १६२. 'स सर्वोप्योज आहार ओजो देहाहपुद्गलाः।
ओजो वा तैजसः कायस्तद्रूपस्तेन वा कृतः।।- लोकप्रकाश, 3.1125 १६३. प्रज्ञापना सूत्र, 28वां आहार पद, प्रथम उद्देशक १६४. प्रज्ञापना सूत्र, 18वां आहार पद, प्रथम उद्देशक सूत्र 1796 १६५. प्रज्ञापना सूत्र, 18वां आहार पद, प्रथम उद्देशक, सूत्र 1796 के विवेचन से उद्धृत १६६. द्रव्यानुयोग, प्रथम खण्ड, 13वां आहार अध्ययन के आमुख से उद्धृत, पृष्ठ 349 १६७. लोकप्रकाश, 3.1129 १६८. लोकप्रकाश, 3.1083 १६६. लोकप्रकाश, 3.1084 २००. (क) वही, 3.1096 (ख) तत्त्वार्थसूत्र 2.30 २०१. द्रष्टव्य (क) लोकप्रकाश, 3.1105
(ख) विदिसाउ दिसि पढमे, बीए पइ सरइ नाडिमज्झमि। उड्ढं तइए तुरिए उनीइ. विदिसंतु पंचमए।।
-व्याख्याप्रप्ति शतक 14, उद्देशक 1, सूत्र 7 के हिन्दी विवेचन से उद्धृत, पृष्ठ 3591 २०२. व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र, शतक 34, उद्देशक 1, सूत्र 2.2 २०३. लोकप्रकाश, 3.1098 २०४. (क) लोकप्रकाश, 3.1099 और 1100
(ख) व्याख्याप्रज्ञप्ति, शतक 34, उद्देशक 1, सूत्र 2.2, २०५. (क) लोकप्रकाश, 3.1101
(ख) व्याख्याप्रज्ञप्ति, शतक 14, उद्देशक 1, सूत्र 7. पृष्ठ सं. 359 २०६. (क) लोकप्रकाश, 3.1102 और 1103 २०७. (क) लोकप्रकाश, 3.1105
(ख) व्याख्याप्रज्ञप्ति, शतक 14, उद्देशक 1, सूत्र 7. पृष्ठ सं. 359 २०६. (क) लोकप्रकाश, 3.1107, 1112, 1113, 1115 से 1117
(ख) द्रव्यानुयोग, प्रथम भाग, अध्ययन 13 के आमुख से उद्धृत, पृष्ठ सं. 350 २०६. (क) लोकप्रकाश, 3.1119
(ख) द्रव्यानुयोग, भाग 1, अध्ययन 13 के आमुख से उद्धृत, पृष्ठ सं. 350