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जीव-विवेचन (3)
६४. लोकप्रकाश, 5.314 ८५. लोकप्रकाश, 6.41
लोकप्रकाश, 6.173 लोकप्रकाश, 7.14 लोकप्रकाश, 9.19 लोकप्रकाश, 8.88
लोकप्रकाश, 6.174 ६१. लोकप्रकाश, 7.110
लोकप्रकाश, 7.109 ६३. लोकप्रकाश, 3.596
लोकप्रकाश, 3.596 की व्याख्या से उदधत ६५. द्रष्टव्य (क) तत्र दर्शनमोहनीयं त्रिभेदं सम्यक्त्वं मिथ्यात्वं तभयमिति। सर्वार्थसिद्धि.8.9
(ख) दंसणमोहं तिविहं सम्मं मीसं तहेव मिच्छत्तं,
सुद्धं अद्धविसुद्ध अविसुद्धं तं हवइ कमसो।।-कर्मग्रन्थ, भाग 1 गाथा 14 ६६. लोकप्रकाश, 3.597 ६७. लोकप्रकाश, 3.688 ६८. यस्यां जिनोक्ततत्त्वेषु न रागो नापि मत्सरः।
सम्यग्मिथ्यात्वसंज्ञा सा मिश्रदष्टिः प्रकीर्तिता। धान्येष्विव नरा नालिकेरद्वीपनिवासितः।
जिनोक्तेष मिश्रदशौ न द्विष्टा नापि रागिणः।-लोकप्रकाश, 3.696-697 ६६. लोकप्रकाश, 3.665 १००. प्रवचनसारोद्धार, द्वितीय भाग, 149 सम्यक्त्व प्रकार नामक द्वार १०१. (क) जिनवाणी, सम्यग्दर्शन विशेषांक, अगस्त 1996, सम्यक्त्व का स्पर्श श्री गौतममुनि, पृ.
(ख) प्रवचनसारोद्धार, भाग द्वितीय, गाथा 947 १०२. प्रवचनसारोद्धार, भाग द्वितीय, गाथा 948 १०३. लोकप्रकाश, 3.689 १०४. लोकप्रकाश, 3.690 १०५. लोकप्रकाश, 3.692 १०६. लोकप्रकाश, 3.693 १०७. लोकप्रकाश, 3.694 १०५. लोकप्रकाश, 3.695 १०६. लोकप्रकाश, 3.700 ११०. लोकप्रकाश, 4.127 और 5.314 १११. लोकप्रकाश, 6.41, 42 और 43 ११२. लोकप्रकाश, 6.175 और 176 ११३. लोकप्रकाश, 7.15 ११४. लोकप्रकाश, 7.111 ११५. लोकप्रकाश, 8.89 ११६. लोकप्रकाश, 9.19 ११७. तत्त्वार्थसूत्र 1.1 ११८. मतिश्रुतावधिमनःपर्यायाण्यथकेवलमा ज्ञानानि पंच.... -लोकप्रकाश, 3.701 ११६. (क) लोकप्रकाश, 3.944 (ख) आद्ये परोक्षम्', 'प्रत्यक्षमन्यत्'-तत्त्वार्थसूत्र, 1.11, 12 १२०. सर्वार्थसिद्धि. 1.9 की टीका से उद्धृत