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लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन लालभाई जैन, पुस्तक भण्डार फण्ड, बड़ेखां चकला, सूरत, भाग 2,8.12, पृष्ठ सं. 154 १६४. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 8.31. १६५. षट्खण्डागम धवला टीका, पुस्तक संख्या 6, 1.9.1 १६६. कर्मग्रन्थ, 1.39 १६७. लोकप्रकाश, 3.399 १६८. 'अन्यदृषभनाराचं कीलिका रहितं हि तत्।
केचित्तु वजनाराचं पट्टोज्झितमिदं जगुः। -लोकप्रकाश, 3.402 १६६. तत्त्वार्थाधिगमसूत्र सिद्धसेनगणि कृत टीका, भाग 2, 8.12, पृष्ठ 154 २००. तत्त्वार्थाधिगम भाष्य, 8-12 २०१. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 8-11 २०२. षट्खण्डागम धवला टीका, पुस्तक 6,1/9-1/37 २०३. कर्मग्रन्थ, 1-38 का विवेचन २०४. लोकप्रकाश, 3.402 २०५. लोकप्रकाश, 3.403 २०६. तत्त्वार्थाधिगमभाष्य सिद्धसेनगणि कृत टीका, 8-12. पृष्ठ 154 २०७. तत्त्वार्थराजवार्तिक,8-11 २०८. कर्मग्रन्थ, भाग 1, गाथा 38 का विवेचन २०६. षट्खण्डागम धवला टीका, पुस्तक सं. 6.1/9-1/37 २१०. लोकप्रकाश, 3.404 २११. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र सिद्धसेन गणि टीका सहित, 8.12 २१२. कर्मग्रन्थ, भाग 1, गाथा 38 २१३. षट्खण्डागम धवला टीका, पुस्तक सं. 6.1/9-1/37 २१४. तत्त्वार्थराजवार्तिक,8-11 २१५. लोकप्रकाश, 3.405 २१६. 'कीलिकानाम विना मर्कटबन्धेनास्थ्नो मध्ये कीलिकामात्रम्'-तत्त्वार्थाधिगमसूत्र, सिद्धसेनगणिकृत
टीका, 8.12 २१७. जिस रचना में मर्कटबन्ध और बेंठन न हो, किन्तु खीले से हड्डियां जुड़ी हों वह कीलिका संहनन
है। -कर्मग्रन्थ, भाग 1, गाथा 38 का भावार्थ २१८. 'तदुभयमंते सकीलकं कीलिकासंहनन'-तत्त्वार्थराजवार्तिक,8-11 २१६. 'जस्स कम्मस्स उदएण अवज्जहड्डाइं खीलियाई हंवति तं खीलियसरीरसंघडणं णाम।'
-षट्खण्डागम, धवला टीका, पुस्तक सं. 6,1/9-1/37 २२०. लोकप्रकाश, 3.405 २२१. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र, सिद्धसेनगणि कृत टीका, 8.12. पृष्ठ 154 २२२. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 8.12 २२३. षट्खण्डागम धवला टीका, पुस्तक संख्या 6, 1.9.1 २२४. कर्मग्रन्थ, 1.38