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________________ 164 लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन १३४. दुर्गतिगामिन्यः संक्लिष्टाध्यवसायहेतुत्वात्। सुगतिगामिन्यः प्रशस्ताध्यवसायकारणत्वात्।। -प्रज्ञापना सूत्र पद 17, 4 की टीका से १३५. लोकप्रकाश, 3.332 से 334 १३६. (क) प्रज्ञापना सूत्र, 17वां पद, उद्देशक 4, सूत्र 1222 से 1225 (ख) लोकप्रकाश, 3.313 व 314 १३७. लोकप्रकाश 3.322 १३८. लोकप्रकाश, 3.315 और 319 १३६. (क) लोकप्रकाश, 3.324 से 326 (ख) प्रज्ञापना सूत्र 17वां पद, उद्देशक 4, सूत्र 1242 १४०. (क) लोकप्रकाश, 3.381 और 382 (ख) गोम्मटसार जीवकाण्ड, गाथा 555 (ग) प्रज्ञापना सूत्र, पद 17. उद्देशक 2, सूत्र 1170 १४१. प्रज्ञापना सूत्र , पद 17, उद्देशक 3, सूत्र 1201 से 1207 तक की व्याख्या से उद्धृत पृष्ठ संख्या 286, आगम प्रकाशन समिति,ब्यावर । १४२. प्रज्ञापना सूत्र, पद 17, उद्देशक 3. सूत्र 1201 से 1207 तक १४३. (क) उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन 34, गाथा 21 व 22 (ख) गोम्मटसार जीवकाण्ड, गाथा 509 (ग) षट्खण्डागम 1/1.1.136 (घ) पंचसंग्रह प्राकृत अधिकार, 1.144-145, जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश से उद्धृत १४४. (क) उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन 34, गाथा 23-24 (ख) गोम्मटसार, जीवकाण्ड, गाथा 510 और 511 (ग) पंचसंग्रह प्राकृत अधिकार, 1-146, जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश से उद्धृत, (घ) तत्त्वार्थराजवार्तिक, 4.22-11 (क) पंचसंग्रह प्राकृत अधिकार, 1.147 (ख) तत्त्वार्थराजवार्तिक 4.22 (ग) तिलोयपण्णति 2. 299-301 (घ) धवला पुस्तक 1/9.9.136 (ङ) गोम्मटसार जीवकाण्ड, 512-514 (च) उत्तराध्ययन सूत्र, 34.25-26 १४६. (क) पंचसंग्रह प्राकृत अधिकार, 1.150 (ख) राजवार्तिक, 4.22 (ग) धवला पुस्तक 1/9.9.136 (घ) गोम्मटसार जीवकाण्ड, गाथा 515 (ङ) उत्तराध्ययन सूत्र 34.27-28 १४७. (क) पंचसंग्रह प्राकृत अधिकार, 1.151 (ख) धवला पुस्तक, 1/9.9.136 (ग) राजवार्तिक, 4.22 (घ) गोम्मटसार जीवकाण्ड, 516 (ङ) उत्तराध्ययन सूत्र 34.29-30 १४८. (क) पंचसंग्रह प्राकृत अधिकार, 1.152 (ख) धवला पुस्तक, 1/9.9.136 (ग) राजवार्तिक, 4.22 (घ) गोम्मटसार जीवकाण्ड, 517वीं गाथा (ड) उत्तराध्ययन सूत्र 34.31-32 १४६. लोकप्रकाश, 4.121 १५०. लोकप्रकाश, 5.311 १५१. लोकप्रकाश, 5.311 १५२. लोकप्रकाश, 6.36 १५३. लोकप्रकाश, 6.170 १५४. लोकप्रकाश, 7.14 १५५. लोकप्रकाश, 9.17 १५६. लोकप्रकाश, 5.311 १५७. लोकप्रकाश, 5.311 १५८. लोकप्रकाश, 3.347 १४५.
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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