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लोक-स्वरूप एवं जीव-विवेचन (1)
१३२. सौधर्मेशान सनत्कुमारमाहेन्द्रब्रह्मलांतकजाः ।
शुक्रसहस्रारानतप्राणतजा आरणाच्युतजाः । । - लोकप्रकाश, 8.60 १३३. लोकप्रकाश, 8.63 से 65
१३४. (अ) लोकप्रकाश, 8.66 (ब) स्थानांग सूत्र नवम स्थान सूत्र 34
१३५. विजयादि विमानोत्थाः पंचधानुत्तरामराः - लोकप्रकाश, 8.65
१३६. स्थानांग सूत्र, पंचम स्थान, प्रथम उद्देशक, सूत्र 53
१३७. लोकप्रकाश 9.1
१३८. आचारांग सूत्र, प्रथम श्रुतस्कन्ध, प्रथम अध्ययन, द्वितीय उद्देशक, सूत्र 15- पृथ्वीकायिक व तृतीय उद्देशक सूत्र 22 - अप्कायिक जीव; चतुर्थ उद्देशक, सूत्र 32 - अग्निकायिक जीव; पंचम उद्देशक, सूत्र 45- वनस्पतिकायिक जीव; सप्तम उद्देशक, सूत्र 56 - वायुकायिक जीव ।
१३६. व्याख्याप्रज्ञप्ति, शतक 2, उद्देशक 2, सूत्र 5वां
१४०. अंडेसु पवड्ढता गब्भत्था माणुसा य मुच्छगया ।
जारिसया तारिसया जीवा एगेंदिया णेया । । - पंचास्तिकाय, गाथा 113
१४१. जीवाजीवाभिगम, प्रथम प्रतिपत्ति ।
१४२. जीव - अजीव तत्त्व, कन्हैयालाल लोढ़ा, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, पृथ्वीकाय वर्णन, पृष्ठ सं. 15
१४३. जीव - अजीव तत्त्व, कन्हैयालाल लोढ़ा, पृथ्वीकाय वर्णन, पृ. 17-18
१४४. जीव - अजीव तत्त्व, अप्काय, पृष्ठ 21
१४५. प्रज्ञापना सूत्र, प्रथम पद, सूत्र 9 १४६. उत्तराध्ययन सूत्र, 36.107 १४७. (अ) लोकप्रकाश, 5.170 से 192
(ब) प्रज्ञापना सूत्र, द्वितीय पद, सूत्र 1 से 5 १४८. 'चतुर्भिश्च किलाधारैर्भूमि रेषा प्रतिष्ठिता ।
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धनोदधिधनवाततनुवातमरुत्पथैः ।।' -लोकप्रकाश, 12.177
१४६. लोकप्रकाश, 6.11 से 13
१५०. लोकप्रकाश, 6. 109
१५१. द्रष्टव्य इसी पुस्तक का पृष्ठ सं.
१५२. लोकप्रकाश, 7.6
१५३. लोकप्रकाश, 7.40
१५४. लोकप्रकाश 9.2 और 3
१५५. लोकप्रकाश, 13.1 और 2
१५६. लोकप्रकाश, 8.71
१५७. लोकप्रकाश, 9.2
१५८. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गाथा 134-135
१५६. "पर्याप्तीनामर्धनिष्पन्नावस्था अपर्याप्तिः । जीवनहेतुत्वं तत्स्थमनपेक्ष्य शक्तिनिष्पत्तिमात्रं