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________________ ४२० नवतत्त्वसंग्रहः __ अथ नरकगति वैक्रियमिश्र रचना गुणस्थान २-पहिला-चौथा, बन्धप्रकृति ९९ है. एकेंद्री १, थावर १, आतप १, सूक्ष्मत्रिक ३, विकलत्रिक ३, नरकत्रिक ३, देवत्रिक ३, वैक्रियद्विक २, आहारकद्विक २, मनुष्य-आयु १, तिर्यंच-आयु १ एवं २१ नास्ति. १ मि | ९८ | तीर्थंकर १ उतारे. मिथ्यात्व १, हुंडक १, नपुंसक १, छेवट्ठा १, अनंतानुबंधी आदि २४ एवं २८ व्यवच्छेद तीर्थंकर १ मिले. अथ नरकगति वैक्रिय रचना गुणस्थान ४ आदिके बंधप्रकृति १०१. पूर्वोक्त एकेंद्री आदि आहारकद्विक पर्यंत १९ नही, समुच्चयनरकवत्. १ मि | १०० तीर्थंकर १ उतारे. मिथ्यात्व १, हुंड १, नपुंसक १, छेवट्ठा १ एवं ४ विच्छित्ति २ सा | ९६ | अनंतानुबंधी आदि २५ विच्छित्ति सास्वादन गुणस्थानवत् ३| मि | ७० मनुष्य-आयु १ उतारे अ ७२ मनुष्य-आयु १, तीर्थकर १ मिले. अथ आहारक काय योग तथा आहारक मिश्र रचना गुणस्थान १-प्रमत्त, बन्धप्रकृति ६३ है. मिथ्यात्व १, हुंड १, नपुंसक १, छेवट्ठा १, एकेंद्री १, थावर १, आतप १, सूक्ष्मत्रिक ३, विकलत्रिक ३, नरकत्रिक ३, अनंतानुबंधि ४, स्त्यानगृद्धित्रिक ३, दुर्भग १, दुःस्वर १, अनादेय १, संस्थान ४ मध्यके, संहनन ४ मध्यके, अप्रशस्त गति १, स्त्रीवेद १, नीच गोत्र १, तिर्यंचद्विक २, उद्योत १, तिर्यंच-आयु० १, अप्रत्याख्यान ४, वज्रऋषभ १, औदारिकद्विक २, मनुष्यद्विक २, मनुष्य-आयु० १, प्रत्याख्यान ४, आहारकद्विक २ एवं ५७ नही. ___ अथ कार्मण योग रचना गुणस्थान ४-१।२।४।१३ मा बन्धप्रकृति ११२ है. देव-आयु० १, नरक-आयु० १, नरकद्विक २, आहारकद्विक २, मनुष्य-आयु० १, तिर्यंच-आयु० १ एवं ८ नही. १| मि | १०७/ द्वेवद्विक २, वैक्रियद्विक २, तीर्थंकर १ एवं ५ उतारे. मिथ्यात्व आदि विकलत्रय __ पर्यंत १३ विच्छित्ति २ सा | ९४ ___ अनंतानुबंधी आदि उद्द्योत पर्यंत २४ विच्छित्ति अ ७५ देवद्विक २, वैक्रियद्विक २, तीर्थंकर १ एवं ५ मिले. अप्रत्याख्यान ४, वज्रऋषभ १, औदारिकद्विक २, मनुष्यद्विक २, प्रत्याख्यान ४, षष्ठ गुणस्थानकी ६, आहारकद्विक विना अष्टम गुणस्थानकी ३४, नवम गुणस्थानकी ५, दशम गुणस्थानकी १६ एवं ७४ व्यवच्छेद. एक सातावेदनीय रही तेरमे ००००० अथ वेदरचना गुणस्थानकरचनावत् नवमे गुणस्थान पर्यंत. अथ अनंतानुबंधिचतुष्करचना गुणस्थान २ आदिके बन्धप्रकृति ११७ है. आहारकद्विक २, तीर्थंकर १ एवं ३ नास्ति. ___
SR No.022331
Book TitleNavtattva Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
PublisherSamyagyan Pracharak Samiti
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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