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नवतत्त्वसंग्रहः सत्य. जैसे पर्वत बलता है, रस्ता चलता है. (८) भाव-'भाव'सत्य. जैसे तोतेमे पांच वर्ण है तो पिण तोता हर्या है. (९) जोग-'योग'सत्य. जैसे दंडके संयोगसे दंडी कहीये, छत्रसे छत्री. (१०) उपमासच्चे-'उपमा'सत्य. चंद्रवत् वदन, समुद्रवत् तडाग. असत्य यंत्रम्--- ___ कोहनिस्सिया-क्रोधके उदय बोले. माननिस्सिया-मानके उदय बोले. मायानिस्सियामायाके उदय बोले. लोहनिस्सिया-लोभनिश्रित बोले. पेज्जनिस्सिया-रागके उदय बोले. दोसनिस्सिया-द्वेषके उदय बोले. हासनिस्सिया-हास्यके उदय बोले. भयनिस्सिया-भयके उदय बोले. अक्खायनिस्सिया-विकथा करी. उवघायनिस्सिया-हिंसाकारी वचन. (११७) मिश्र भाषा पा.
अर्थ मिश्र भाषा पा.
अर्थ १ उप्पन्नमिसि(स्सि?)या | इस गाममे दस बालक ६ जीवाजीवमिसिया | जीव, अजीव दोनोकी जन्मे है
. मिश्र भाषा बोले २ विगयमिसिया इस गाममे आज दस
७ अनंतमिसिया मूली आदिक कंदोमे जणे मरे है
अनंते जीव है सो
'प्रत्येक' जीव कहै. ३ उप्पन्नविगयमिसिया इस गाममे दस जन्मे ८ परत(रित्त)मिसिया | प्रत्येककू अनंतकाया है, दस(की) मृत्यु
कहै होइ है ४जीवमिसिया एकचा(त्र) सर्व जीव है ९ अद्धामिसिया __ऊठ रे दिन चढ्या
पहरके तडकेसे कहै ५ अजीवमिसिया अन्नकी रास देखके १० अद्धद्धामिसिया घणे कालका जूठ, कहै ए तो अजीव है.
घडी एक रात गये
(रह्ये) दिन ऊगा कहै व्यवहार भाषाके बारां भेद (१) आमंताणि हे भगवन्. (२) आणवणि-इह काम कर तथा यह वस्तु लाव. (३) जायणि-यह हमें देउगे. (४) पुच्छणि-ग्राम आदिनो मार्ग पूछणा. (५) पन्नवणि-धर्म ऐसे होता है. (६) पच्चक्खाणी-यह काम हम नही करेंगे. (७) इच्छाणुलोम-अहासुह देवानुप्रिय. (८) अणभिग्गहिया-अगलेका कह्या ठीकतरे समजे न. (९) अभिग्गहिया-मुझे ठीक है. (१०) संसयकारण-खबर नही क्यों कर है. (११) वोगडा-प्रगट अर्थ कहै. (१२) अवोगडा-अप्रगट अर्थ. ___इह २२ भेद भाषाके हैं. सत्य १०, व्यवहार १२, एवं २२ भेद बोले. इति भाषासमिति संपूर्ण.