SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुगटवाला राजाओथी सेवनीय नपशेखर नामनो राजा राज्य करतो हतो ॥ ३० ॥ ते राजानी पासे तेना प्रियमित्र वंगदेशना राजाए सघळा रोग अने घडपणने नष्ट करवावाळु, साधारण मनुष्योने अनेक प्रकार नी सेवा करवा योग्य, रत्नत्रय समान पूजनीय, बीना लोकोने दुर्लभ, हृदयग्राहि, मनोहर स्त्रीना यौवनना जेवू सुखकारी, सुंदर अने मुखदरुप रस गन्ध अने स्पर्शथी आनंदित कर्या छे मनुष्यनां ह्रदय जेणे, तथा पोतानी सोरमवडे आकर्षण कयों छे भ्रमरोनो समूह नेणे एवं एक आम्रफळ ( केरी ) मोकल्युं ॥ ३१ - ३२ - ३३ ॥ तेने देखतांज ते राजा घणो हर्षित थयो, ते ठीकन छे सुंदर पदार्थों जोवाथी कोने हर्ष थतो नथी? ॥ ३४ ॥ सघळा रोगोनो नाश करावाळी आ एकन केरीनो सघळा लोकोने माटे विभाग थइ शके नहि ते माटे जेथी ए बहु थइ जाय एवो उपाय करूं. आ प्रमाणे विचार करीने राजाए ते केरी एक चतुर माळीने आपीने कह्यु के हे भद्र ! जेथी आ केरी अनेक फलोने उत्पन्न करवावाळी थइ जाय एवो उपाय कर अने कोइ उत्तम वनमां लइ जईने एने वावी दे ॥ ३५-३६-३७ ॥ वृक्षारोपण विद्यामां प्रवीण ते माळीए नमस्कार करीने एमेज करीश, ए प्रमाणे कहीने ते केरीने बागमां वावीने उछेरवा लाग्यो ॥ ३८ ॥ ते वृक्ष सज्जन पुरुषनी माफक जलदीथी मोटी सुंदर छाया अने माटां मोटा असंख्य फलोथी सवळाने खुशी करवावाळु बहु माटुं थइ गयुं ॥ ३९ ॥ दैवयोगथी कोइएक पक्षी एक सर्पने लईने जतुं हतुं तेनुं झेर ते आंबाना एक फल उपर पडयु ॥ ४०॥ ते मिंदनीक झरना संयोगथी ते आनफळ पाक ने
SR No.022328
Book TitleDharmpariksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIshwarlal Karsandas Kapadia
PublisherMulchand Karsandas Kapadia
Publication Year1910
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy