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________________ उत्तर : हिंगुल के समान रक्त और पके आमरस से अनन्तगुण मधुर पुद्गलों के संयोग से आत्मा में जो परिणाम होता है, वह पीतलेश्या है । पीतलेश्या संयुक्त जीव पापभीरु, ममत्वरहित, विनयी तथा धर्म में रुचि रखनेवाला होता है। ११९१) पद्मलेश्या किसे कहते हैं ? . उत्तर : हल्दी के समान पीले तथा मधु से अनन्तगुण मिष्ट पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा में जो परिणाम होता है, वह पद्म लेश्या है। पद्म लेश्यावाला जीव सरल, सहिष्णु, समभावी, मितभाषी तथा इन्द्रियों पर नियंत्रण करनेवाला होता है। ११९२) शुक्ल लेश्या किसे कहते हैं ? उत्तर : शंख के समान श्वेत और मिश्री से अनन्तगुण मिष्ट पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा में जो परिणाम होता है, वह शुक्ल लेश्या है । शुक्ल लेश्यावाला जीव राग-द्वेष रहित, विशुद्ध ध्यानी तथा आत्मलीन होता ११९३) भव्य किसे कहते हैं ? उत्तर : जिन जीवों में मोक्ष पाने की योग्यता है, वे जीव देव-गुरु-धर्म रुप सामग्री मिलने पर कभी न कभी अवश्यमेव सिद्धत्व को प्राप्त करेंगे, वे भव्य जीव कहलाते है। ११९४) अभव्य किसे कहते हैं ? उत्तर : मूंग में कोरड के समान जो जीव देव-गुरु-धर्म का सानिध्य मिलने पर भी सुलभ बोधि नहीं बनेंगे तथा अनन्तकाल तक संसार में परिभ्रमण करते रहेंगे, वे मोक्ष में जाने की अयोग्यता रखनेवाले जीव अभव्य कहलाते हैं। ११९५) भव्य जीव के कितने प्रकार है ? उत्तर : तीन - (१) आसन्नभव्य, (२) मध्यम भव्य, (३) दुर्भव्य । ११९६) आसन्न भव्य किसे कहते हैं ? उत्तर : जो जीव निकटभवी हो अर्थात् एकाधभव में ही मोक्ष प्राप्त करनेवाला ३६८ श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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