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९९६) शुक्लध्यान के चारों भेद कौन-से गुणस्थानक में होते हैं ? उत्तर : शुक्लध्यान का प्रथम भेद ८ से ११ तक, चार गुणस्थान में होता है।
दूसरा भेद १२ वें गुणस्थान में होता है। तीसरा भेद १३ वें गुणस्थानक के अंत में तथा चौथा भेद १४ वें गुणस्थानक में विद्यमान जीवों को
होता है। ९९७) शुक्लध्यान के चारों भेद किस जीव में पाये जाते हैं ? उत्तर : प्रथम दो भेद छद्मस्थ में तथा अन्तिम दो भेद केवली में होते हैं । ९९८) सयोगी व अयोगी केवली को कौन कौन-से ध्यान होते हैं ? उत्तर : प्रथम तीन भेद सयोगी को व अंतिम एक भेद अयोगी केवली को
होता है। ९९९) इन चारों भेदों का काल कितना ? उत्तर : अन्तर्मुहूर्त प्रमाण। १०००) छाद्मस्थिक ध्यान तथा कैवलिक ध्यान से क्या तात्पर्य है ? उत्तर : छाद्यस्थिक ध्यान योग की एकाग्रता रुप है तथा कैवलिक ध्यान योग
निरोध रुप है। १००१) शुक्लध्यान के चारों भेदों में कौन कौन से योग संभवित हैं ? उत्तर : शुक्लध्यान के प्रथम भेद में तीनों योग पाये जाते हैं । द्वितीय भेद में
मन, वचन, काया, इन तीनों योगों में से कोई एक योग ही संभवित है। तृतीय भेद में केवल काययोग ही होता है। ११ चोथे भेद में अयोगी
अवस्था होती है। १००२) जीव क्षपकश्रेणी किस ध्यान से प्राप्त करते हैं ? उत्तर : जीव क्षपकश्रेणी दो ध्यान से प्राप्त करते हैं - (१) धर्मध्यान से (२)
शुक्लध्यान से। १००३) शुक्लध्यान से कौन सी गति प्राप्त होती है ? उत्तर : शुक्लध्यान से पंचम सिद्धगति अर्थात् मोक्ष प्राप्त होता है। १००४) कायोत्सर्ग तप किसे कहते हैं ? उत्तर : काया के व्यापार का त्याग करना कायोत्सर्ग तप है। इसका अपर नाम
------------------------ श्री नवतत्त्व प्रकरण
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